305 Part
124 times read
0 Liked
मैं अपने खुले जंगले से देखा करता कि वह धूप से तपे हुए सूखे मैदान के रास्ते से जल्दी-जल्दी कदम रखती हुई मैदान पार हो रही है। इस बात को मैं ...